हम को इतना भी न सताया कर
कभी तो मुस्कराया कर
गम नहीं कम हमारी ज़िन्दगी में भी
गम नहीं कम हमारी ज़िन्दगी में भी
पर जो भी है उसमे ही मुसराय कर
चली गयी बारिश आ कर
अब चाँद भी ठउर तुरता है
मेरी माँ के बिना वो स्वेटर
मुझे अब भी ठण्ड से बचाता है
लोग कहते है ग़म नहीं मेरी ज़िन्दगी में कोई
लोग कहते है ग़म नहीं मेरी ज़िन्दगी में कोई
एक पल मुझे जी कर देखो हज़ार सावन निकल जायेगा
इसलिए फिर कहता हु
वजह कुछ भी हो हालात जो भी हो
थोड़ा तो मुस्कराया करो
जो है उसमें सुकून कर के
ज़िन्दगी को गुनगुनाया करो
हम को इतना भी न सताया कर
कभी तो मुस्कराया कर
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